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Question - 81 : - अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं?
Answer - 81 : -
अरहर और सनई फलीदार फ़सलें हैं। इनकी फ़सलें पकने पर, जब हवा चलती है तो इनमें से मधुर आवाज़ आती है। यह मधुर आवाज़ किसी स्त्री की कमर में बँधी करधनी से आती हुई प्रतीत होती है। इन्हीं मधुर आवाजों के कारण कवि को अरहर और सनई के खेत धरती की करधनी जैसे दिखाई देते हैं।
Question - 82 : - भाव स्पष्ट कीजिए-
- बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती।
- हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोए।
Answer - 82 : -
- गंगा-तट की रेत बल-खाते साँप की तरह लहरदार है और वह विविध रंगों वाली है।
- हरियाली धूप के प्रकाश में जगमगाती हुई हँसमुख-सी लग रही है। सर्दी की धूप भी स्थिर और शांत है। उन्हें देखकर यों लगता है मानो दोनों अलसाकर एक-दूसरे के संग सो गए हों।
Question - 83 : - निम्न पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
तिनकों के हरे हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक
Answer - 83 : -
- हरे-हरे’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
- ‘हरे-हरे’ ‘हिल-हरित’ में अनुप्रास अलंकार है।
- ‘हरित रुधिर’-रुधिर का रंग हरा बताने के कारण विरोधाभास अलंकार है।
- ‘तिनकों के हरे-भरे तन पर’ में रूपक एवं मानवीकरण अलंकार है।
Question - 84 : - इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है?
Answer - 84 : -
इस कविता में गंगा के तट पर बसे गाँव का चित्रण हुआ है।
Question - 85 : - भाव और भाषा की दृष्टि से आपको यह कविता कैसी लगी? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
Answer - 85 : -
‘ग्राम श्री’ कविता में उस ग्रामीण सौंदर्य का चित्रण है जो लोगों के मन को अनायास अपनी ओर खींच लेता है। गाँव हरियाली से भरपूर है। यह खेतों में लहराती फ़सलें हैं जिन पर रंग-बिरंगे फूल खिले हैं तो दूसरी ओर फलों से लदे पेड़ भी हैं जिन पर पके फलं मुँह में पानी ला देते हैं।
कविता में गंगा की सतरंगी रेती और जल क्रीड़ा करते पक्षियों का चित्रण भी है। हरा-भरा गाँव देखकर लगता है कि यह मरकत का कोई डिब्बा हो। कविता की भाषा सरल सहज बोधगम्य, प्रवाहमयी है जिसमें चित्रमयता है। वर्णन इतना प्रभावी है कि सारा का सारा दृश्य आँखों के सामने साकार हो उठता है। कविता में अनुप्रास, रूपक मानवीकरण और विरोधाभास अलंकारों का सहज एवं स्वाभाविक प्रयोग है। इस तरह ग्राम श्री’ कविता भाव एवं भाषा की दृष्टि से उत्कृष्ट है।
Question - 86 : - आप जहाँ रहते हैं उस इलाके के किसी मौसम विशेष के सौंदर्य को कविता या गद्य में वर्णित कीजिए।
Answer - 86 : -
मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। हमारा गाँव उस क्षेत्र में है जो यमुना नदी से मात्र एक-डेढ़ किलोमीटर ही दूर है। इस क्षेत्र में सरदी और गरमी दोनों ही खूब पड़ती हैं। मुझे गरमी का मौसम पसंद है। गरमी में यमुना के दोनों किनारों पर सब्जियों की खेती की जाती है जिससे हरियाली बढ़ जाती है। इन खेतों में जाकर खीरा, ककड़ी, खरबूजा, तरबूज आदि तोड़कर खाने का अपना अलग ही आनंद होता है। दोस्तों के साथ यमुना के उथले पानी में नहाने, रेत पर उछलने-कूदने और लोटने का मज़ा अलग ही है। इस ऋतु में सुबह-शाम जल क्रीड़ा करते हुए पक्षियों को निहारना सुखद लगता है। आम, फालसा, लीची आदि फल इसी समय खाने को मिलते हैं। यहाँ की हरियाली आँखों को बहुत अच्छी लगती है।